Menu
blogid : 101 postid : 8

Meri aik nayee nazm

apni baat
apni baat
  • 8 Posts
  • 18 Comments

मेरी एक नयी नज़्म

ये शाम की चादर ये बेनूर अँधेरे
कोने में बैठा ताकता हूँ आँखों में सवेरे

क्या सवेरा होगा ?
आस्मां पर पिरन्दों का बसेरा होगा ?

क्या सुबह लायेगी िज़िदगी का पैगाम
या भिवष्यवाणी की तरह अँधेरा होगा |

वह्शत में आगे बढ़ता हूँ ,
खुजली सा नीचे से ऊपर को चढ़ता हूँ |

मगरूर िसपाही की तरह
कमज़ोर ितपाही की तरह
टूट कर िबखर जाऊँगा

ितनके सा इधर से उधर चला जाऊँगा
रेत में मृगतृष्णा सा छला जाऊँगा

याद रखता है कौन बीते हुए पलों को
आँिधयों में शाख से िगरे कच्चे फलों को

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh