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हैवानियत िफर कभी इंसानियत पर कािलख न मल सकेगी ।

apni baat
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एक किवता

िजम्मेदारियों से परे हूँ,
बहुत गुनाह करे हूँ;
इन्तहाई बुरा हूँ ,
िसलिसलाई छुरा हूँ |

नफरत फैलाता हूँ
िफर भी खुदा कहलाता हूँ

आप के सदके फसाद कराता हूँ
यही जिरया है िजससे रोटी कमाता हूँ

आपको बाटना बड़ा ही आसान है।
आप धरम मैं बटते हो,
या जाित की छोटी छोटी छलिनयों मैं छटते हो।
इसका फायदा हम उठाते हैं,
अपनी मर्ज़ी से दंगा कराते हैं।

अगर आप सब ऐक हो जाएँ,
और सभी के इरादे नेक हो जाएँ।

तो हम जैसों की दाल न गल सकेगी,
हैवानियत िफर कभी इंसानियत पर कािलख न मल सकेगी ।

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